एमएस धोनी: मशहूर होने से रिटायरमेंट तक की कहानी, नहीं दिखेगी जर्सी नंबर 7 अब कभी ग्राउंड पर।

Sumit Yadav

एमएस धोनी की प्रतिष्ठित नंबर 7 जर्सी को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने खेल में पूर्व कप्तान के योगदान के लिए सम्मान के रूप में रिटायर कर दिया है। इस तरह का सम्मान पाने वाले एकमात्र अन्य क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हैं, जिनकी 10 नंबर की जर्सी भी रिटायर कर दिया गया है । धोनी ने तीन साल पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.

अब से भारत के लिए क्रिकेट खेलने वाला कोई भी व्यक्ति अपनी जर्सी पर 7 नंबर नहीं पहन सकेगा। आमतौर पर जब कोई खिलाड़ी भारत के लिए खेलना शुरू करता है तो वह अपनी जर्सी के लिए कोई भी नंबर चुन सकता है। लेकिन अब भारत में इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी.

यह सम्मान पाने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने एमएस धोनी

(सचिन और एमएस धोनी)

बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) ने युवा भारतीय खिलाड़ियों से कहा है कि वे अब 7 नंबर की जर्सी नहीं पहन सकते। उन्होंने 2017 में पहले ही 10 नंबर की जर्सी को लिस्ट से बाहर कर दिया था जिसे, सचिन तेंदुलकर पहनते थे और एमएस धोनी अब यह सम्मान पाने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। 

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने युवा खिलाड़ियों और वर्तमान भारतीय टीम के खिलाड़ियों दोनों से 7 नंबर की जर्सी नहीं चुनने के लिए कहा है, जिसे एमएस धोनी पहनते थे। बीसीसीआई ने खेल में उनके योगदान को सम्मान देने के लिए धोनी के जर्सी नंबर को रिटायर करने का फैसला किया है। इसका मतलब यह है कि कोई भी नया खिलाड़ी नंबर 7 पहनना नहीं चुन सकता है, और नंबर 10 भी पहले से ही उपलब्ध नहीं है

कैसा रहा है एमएस धोनी का जीवन?

एमएस धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को भारत के रांची नामक स्थान पर हुआ था। उनके माता-पिता का नाम पान सिंह और देवकी देवी है। वह एक हिंदू राजपूत परिवार से आते हैं और उनके पूर्वज अल्मोडा नामक स्थान के एक गांव से हैं। धोनी के पिता अल्मोडा से रांची आये और मेकॉन नामक कंपनी में नौकरी की। धोनी की बहन का नाम जयंती गुप्ता और भाई का नाम नरेंद्र सिंह धोनी है।

धोनी ने झारखंड के रांची में डीएवी जवाहर विद्या मंदिर नामक स्कूल में अपनी पढ़ाई की। वह बैडमिंटन, फुटबॉल, और क्रिकेट जैसे विभिन्न खेलों में वास्तविक रूप से माहिर थे। फुटबॉल में, उन्होंने अपनी टीम के लिए गोलकीपर के रूप में खेला, और क्रिकेट में, वह स्थानीय क्लब के लिए खेलते थे।

1995 से 1998 तक, कमांडो क्रिकेट क्लब में क्रिकेट खेलते हुए, धोनी ने गेंद पकड़ने में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने इतना शानदार प्रदर्शन किया कि उन्हें 1997 और 1998 में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एक बड़े टूर्नामेंट में खेलने के लिए चुना गया। धोनी ने इस टूर्नामेंट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। एक बार जब उन्होंने स्कूल पूरा किया, तो उन्होंने वास्तविक में क्रिकेट में ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। 2001 से 2003 तक, धोनी ने पश्चिम बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टीटीई (यात्रा टिकट परीक्षक) के रूप में काम किया

कैसा रहा एमएस धोनी का करियर?

1998 में, एमएस धोनी सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड नामक क्रिकेट टीम में शामिल हो गए। इससे पहले, वह अपने स्कूल और एक क्रिकेट क्लब के लिए खेलते थे। जब भी धोनी किसी टूर्नामेंट में एक विशेष तरह का शॉट, जिसे छक्का कहा जाता है, मारते थे, तो उन्हें देवल सहाय नामक व्यक्ति से 50 रुपये का इनाम मिलता था। देवल सहाय धोनी की कड़ी मेहनत और कौशल से प्रभावित थे और चाहते थे कि वह एक बड़ी टीम के लिए खेलें। जब धोनी 18 साल के थे, तो उनका बिहार की सीनियर टीम में खेलने के लिए चयन हुआ। उन्हें कुछ अन्य टीमों के लिए नहीं चुना गया, लेकिन उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास को जारी रखा।

2002-2003 के दौरान, झारखंड टीम में रणजी ट्रॉफी और देवधर ट्रॉफी के लिए खेलते हुए, धोनी ने अपने निचले क्रम के योगदान के साथ-साथ जोरदार बल्लेबाजी शैली के लिए भी पहचान बनाई।

धोनी को भारत ए टीम में शामिल होने का एक महत्वपूर्ण मौका जिम्बाब्वे और केन्या के दौरों के दौरान मिला था। हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए, धोनी ने एक शानदार प्रदर्शन किया, मैच में 7 कैच और 4 स्टंपिंग की अद्वितीय तकनीक दिखाई। केन्या के साथ भारत ए टीम ने त्रि-राष्ट्र टूर्नामेंट में भाग लिया, और धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ अर्धशतक लगाकर भारतीय टीम को 223 रनों के लक्ष्य का पीछा करने में मदद की।

उन्होंने 6 पारियों में 72.40 की औसत से 362 रन बनाए, जिससे उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दम पर टीम को नई ऊचाइयों तक पहुँचाया। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन ने धोनी को तत्कालीन कप्तानों, जैसे कि सौरव गांगुली, रवि शास्त्री, के ध्यान को आकर्षित किया, और उन्हें भारतीय क्रिकेट की नई ऊचाइयों में से एक बना दिया।

भारत ए टीम के बाद, 2004/05 में बांग्लादेश दौरे के लिए धोनी को वनडे टीम में शामिल करने का बड़ा मौका मिला। उनके पहले मैच में धोनी शून्य पर रन आउट हो गए थे, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई सीरीज के बावजूद, उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए चयन किया गया। सीरीज के दूसरे मैच में धोनी ने एक शानदार प्रदर्शन किया, 123 गेंदों में 148 रन बनाए और इससे उन्होंने भारतीय विकेटकीपरों के बीच सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया।

धोनी को दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला के लिए एकदिवसीय टीम का उप-कप्तान नामित किया गया था। जून 2007 में, धोनी ने बीसीसीआई से ए ग्रेड का अनुबंध प्राप्त किया। सितंबर 2007 में, विश्व ट्वेंटी-20 मैचों के लिए भारतीय टीम के कप्तान के रूप में चयन हुआ। इस दौरान, धोनी ने साबित किया कि वह एक अद्वितीय नेता है। सितंबर 2007 में, धोनी ने एक वनडे मैच में आदर्श एडम गिलक्रिस्ट के साथ सबसे अधिक बार शून्य पर आउट होने का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुए T20 विश्व कप में एक युवा भारतीय टीम को जीत दिलाई।


2011 में, धोनी के नेतृत्व में भारत ने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और फिर सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हराकर फाइनल में पहुंचा। धोनी ने फाइनल में गौतम गंभीर और युवराज सिंह के साथ मिलकर श्रीलंका के खिलाफ 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को जीत दिलाई। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए 2011 विश्व कप के फाइनल मैच में, धोनी ने एक ऐतिहासिक छक्के के साथ मैच को 91* रनों पर खत्म किया। इस शानदार प्रदर्शन के बाद, उन्हें मैन ऑफ द मैच से नवाजा गया और उनकी आधिकारिक मान्यता के रूप में 2011 क्रिकेट विश्व कप के लिए उनका योगदान कायम रहा।

2013 में, भारत ने ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीती और इस मौके पर धोनी ने क्रिकेट के इतिहास में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की। वे पहले और एकमात्र कप्तान बने जिन्होंने सभी ICC ट्रॉफियां जीतीं। इस दौरान, उनकी कप्तानी में टीम ने इंगलैंड  को हराकर इस खास ट्रॉफी को अपने नाम किया।

उसी साल, धोनी ने सचिन तेंदुलकर के बाद भारतीय टीम के बल्लेबाजों में से पहले होने का गर्व महसूस किया। उसी वर्ष, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए एक वनडे मैच में 1,000 या अधिक रन बनाने का कारगर उपयादन किया, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण संगीत बना। धोनी का यह उपाधि उनकी अद्वितीय कप्तानी को और भी शानदार बनाता है और उनके क्रिकेट करियर की विशेष महत्वपूर्ण घटना है।

2019 में, धोनी को बड़े क्रिकेट विश्व कप में भारत की टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ कुछ मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे वह टीम के महत्वपूर्ण हिस्से बने रहे।

हालांकि, कुछ लोगों ने उनकी तेजी से रन  जुटाने की रणनीति पर तीखी टिप्पणियाँ की, विशेषकर अफगानिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ। न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में, धोनी ने दूसरे दौर में 50 अंक बनाए, लेकिन वह वास्तव में महत्वपूर्ण समय पर आउट हो गए। इसके कारण, भारत का वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया।

यह टूर्नामेंट धोनी के करियर का एक महत्वपूर्ण चरण था और इसने उनकी क्रिकेट करियर को एक अद्वितीय रूप से समाप्त होने की ओर बढ़ा दिया।

कैसा रहा आईपीएल का करियर

(एमएस धोनी का आईपीएल का करियर)

आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान के रूप में अपना जलवा बिखेरने वाले रांची के इस जादुई क्रिकेटर ने भारत को 90 टेस्ट, 350 वनडे और 98 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उन्होंने क्रमशः 4876, 10773 और 1617 रन बनाए हैं। धोनी के नाम एक भारतीय कीपर द्वारा सबसे अधिक आउट करने का रिकॉर्ड भी है। उनके नाम 634 कैच और 195 स्टंपिंग हैं, जो उन्हें दक्षिण अफ्रीका के मार्क बाउचर और ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट के बाद खेल के इतिहास में तीसरे सबसे सफल विकेटकीपर बनाते हैं। उनका योगदान भारतीय क्रिकेट को एक अनूठा और स्मरणीय स्थान प्रदान करता है।

उनके कप्तान रहते हुए टीम ने कई बड़ी प्रतियोगिताएं जीतीं। उन्होंने 2010, 2011, 2018 और 2023 में आईपीएल खिताब जीते और 2010 और 2014 में चैंपियंस लीग टी20 खिताब भी जीते

धोनी वर्तमान में आईपीएल (Indian Premier League) में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेल रहे हैं। आईपीएल भारतीय क्रिकेट में सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंटों में से एक है और इसमें विभिन्न टीमें आमने-सामने होती हैं, जिसमें देश-विदेश के उभरते हुए क्रिकेट स्टार्स भाग लेते हैं। धोनी ने चेन्नई सुपर किंग्स के साथ अपनी कप्तानी और बैटमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं और उनकी नेतृत्व में टीम ने कई बार आईपीएल खिताब जीता है। इस तरह, धोनी आईपीएल में अपने करियर को योगदान दे रहे हैं और टीम के सफलतापूर्वक प्रबंधन में भी शामिल हैं।

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